Monday, April 30, 2012

ज्‍़यादातर कचरा जो पैदा होता है वह भूमि को समतल बनाने (लैंडफिल) तथा जल निकायों में चले जाते हैं। अत: इनका सही तरीके से निपटान नहीं होता है तथा यह मिथेन और कार्बन डायओक्‍साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों के स्रोत बनते हैं। कचरे का निपटान करने से पहले उनको सही ढंग से संसाधित करने तथा उनका ऊर्जा के उत्‍पादन में इस्‍तेमाल करने से इस समस्‍या में सुधार हो सकता है...

ज्‍़यादातर कचरा जो पैदा होता है वह भूमि को समतल बनाने (लैंडफिल) तथा जल निकायों में चले जाते हैं। अत: इनका सही तरीके से निपटान नहीं होता है तथा यह मिथेन और कार्बन डायओक्‍साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों के स्रोत बनते हैं। कचरे का निपटान करने से पहले उनको सही ढंग से संसाधित करने तथा उनका ऊर्जा के उत्‍पादन में इस्‍तेमाल करने से इस समस्‍या में सुधार हो सकता है।
इसमें दो स्‍तरीय दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है जिसमें न केवल अपशिष्‍ट का निपटान पर्यावरण के अनुकूल हो सकेगा बल्कि साथ ही साथ प्रदूषण कम करने और विकास की ज़रूरतों के लिए आवश्‍यक ऊर्जा का उत्‍पादन भी हो सकेगा। ऐसी कई पद्धतियां हैं जिससे कचरे के जरिए ऊर्जा का उत्‍पादन हो सकता है।
सबसे पहला है अवायवीय (ऐनरोबिक) बायजेशन या बायोमिथनेशन। इस पक्रिया में जैविक कचरे को अलग किया जाता है तथा उसे बायो गैस डायजेस्‍टर में डाला जाता है। मिथेन से संपन्‍न बायोगैस का उत्‍पादन करने के लिए अवायवीय स्थितियों में इस कचरे का अपशिष्‍ट बायोडिग्रेडेशन होता है। इस तरह से पैदा हुर्इ बॉयोगैस का इस्‍तेमाल खाना पकाने, बिजली पैदा करने आदि में हो सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान बने चिपचिपे पदार्थ का इस्‍तेमाल खाद के रूप में किया जा सकता है।
अगली प्रक्रिया कम्‍बशन/इन्सिनेरेश है। इस पद्धति में उच्‍च तापमान पर ( लगभग 800 सी) कचरे को औक्‍सीजन की प्राचुर्य मात्रा में सीधे रूप से जलाया जाता है। इससे जैविक पदार्थ के ऊष्‍म तत्‍व 65-80 प्रतिशत तक गरम हवा, भाप तथा गरम पानी में तब्‍दील होते हैं। इसक जरिए पैदा हुई भाप का इस्‍तेमाल स्‍टीम टर्बाइन में बिजली पैदा करने के लिए हो सकता है।
पायरॉलिसिस/गैसिफिकेशन एक अन्‍य प्रक्रिया है जिसमें जैविक पदार्थों का ऊष्‍म के जरिए रायासनिक अपघटन होता है। जैविक पदार्थ को हवा की अनुपस्थिति या हवा की सीमित मात्रा में तब तक गरम किया जाता हे जब तक कि उनका गैस के छोटे मॉलिक्‍यूल में अपघटन न हो जाएं ( जिसे सम्मिलित रूप से सिनगैस कहते हैं )। उत्‍पादित गैस को प्रोड़यूसर गैस कहते हैं जिसमें कार्बन मानोक्‍साइड (25 प्रतिशत), हाइड्रोजन तथा हाइड्रोकार्बन(15 प्रतिशत), कार्बन डायोक्‍साइड और नाइट्रोजन (15 प्रतिशत) गैस सम्मिलित होती हैं। बिजली पैदा करने के लिए प्रोड्यूसर गैस को इंटरनल कम्‍बशन जेनरेटर सेट या टर्बाइन में जलाया जाता है।

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