Tuesday, October 25, 2011

An unprecedented step in space cooperation

The Hindu : Sci-Tech / Science : An unprecedented step in space cooperation

A Soyuz rocket lifted off on its maiden flight from Europe's space base here, carrying the first two satellites in the Galileo geo-positioning system.

The launch marked an unprecedented step in space cooperation, being the first by the veteran rocket beyond Russia's historic bases at Plesetsk and Baikonur.

As mission controllers counted off the final seconds, Soyuz's main engines ignited, a cluster of umbilical masts flipped back and at 1030 GMT the rocket clawed its way skywards through a pounding tropical rain.

After a nine-minute flight through Earth's atmosphere, its final stage, the Fregat, fired up to drive the satellites toward their orbital slots, a last leg that should take more than three hours.

“The first part of this mission has gone well,” said Jean-Yves Le Gall, chief executive of Arianespace, which markets launches at Kourou.

Friday's launch came after a 24-hour postponement caused by a faulty valve in a ground system designed to disconnect fuel lines to the rocket's third stage just before flight.

Soyuz is a space legend, for it traces its lineage to 1957 with Sputnik, the first satellite, and to the first manned flight, by Yuri Gagarin, in 1961. Friday's launch was the 1,777th in the Soyuz saga. It has a success rate of 94.4 per cent. A symbol of national pride in Russia, the rocket was deployed at a specially-built pad at Kourou under a 2003 deal intended to complete Arianespace's marketing range.

Arianespace says it has orders for 14 Soyuz launches from Kourou, including the third and fourth satellites in the Galileo constellation next year. Galileo is intended to give Europe independence in satellite navigation, a vital component of the 21st-century economy, from the U.S. Global Positioning System (GPS). When completed in 2020, it will comprise 27 satellites and provide accuracy to within a metre, compared to three to eight metres for the GPS.

Monday, October 24, 2011

Wheat production in India, the world’s second-largest producer, stood at a record 85.93 million tonnes in the 2010-11 crop year (July-June). Wheat is only grown in the rabi season .

IBSA

The Hindu : Sci-Tech / Internet : Plan for new global body to oversee Internet governance evokes mixed response

India has joined hands with Brazil and South Africa to explore ways and means of taking forward a proposal to establish a new global body, within the United Nations framework, to oversee global Internet governance.

The move, which evoked a mixed response from the global Internet community, was spelt out by officials of IBSA (India, Brazil, South Africa) at a seminar on global Internet governance in Rio de Janeiro in September.

Just a few days ago, the joint declaration that was issued following the fifth IBSA summit in Pretoria took note of the recommendations of the Rio de Janeiro seminar and “resolved to jointly undertake necessary follow-up action.”

The Rio meet felt that a body was urgently required within the U.N. system to “coordinate and evolve coherent and integrated global public policies pertaining to the Internet.” It also called for ensuring that Internet governance was “transparent, democratic, with multiple stakeholders and multilateral.”

Paraminder Singh, director, IT for Change, a non-governmental organisation which participated in the Rio seminar, told The Hindu: “Internet-related policies today are made either by mega global digital corporations or directly by pluri-lateral bodies of the rich nations, like the Organisation for Economic Cooperation and Development.”

The Indian position, enunciated at a meeting of the Internet Governance Forum (IGF) last month, was that the Rio recommendation was only a starting point for discussions. It was yet to be fleshed out by the IBSA. The IGF is a forum for multi-stakeholder dialogue on the Internet, constituted to help the U.N. Secretary-General carry out the mandate set by the World Summit on Information Society.

However, the official Indian representative made it clear at the IGF meeting that the existing Internet governance processes and mechanisms needed to be made more inclusive and more sensitive to the requirements of developing nations.

Some observers see the proposal as undermining the multi-stakeholder model that is now followed for managing the Internet.

One argument heard at the IGF meeting was that there was no need for a new global body. Organisations like the Internet Corporation for Assigned Names and Numbers, which oversee the functioning of the global Internet address system, had shown the capability to respond to the concerns of developing nations.

“Usually governments that pay lip service to the multi-stakeholder systems will make the real decisions, while the private sector and civil society are given some kind of minor voice,” said Milton L. Mueller, Professor, Syracuse University School of Information Studies.

“On the other hand, it is unfortunately true that the existing fora make it more difficult than it should be to discuss any change that challenges the hegemony of the established institutions such as ICANN, the Regional Internet Address Registries, etc.,” he said. “Unfortunately, the IBSA approach makes this problem worse rather than better.”

“A big part of these ‘other stakeholders' are the oligarchic global digital corporations that need to be regulated by global policy frameworks. There are of course progressive civil society actors in this category, but much of civil society in the Internet governance space is oriented to the interests of relatively better-off classes,” says Mr. Singh of IT for Change.

Saturday, October 22, 2011

BBC Hindi - विज्ञान - गैलीलियो के पहले उपग्रह प्रक्षेपित

BBC Hindi - विज्ञान - गैलीलियो के पहले उपग्रह प्रक्षेपित

यूरोपीय आयोग गैलीलियो परियोजना में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है जिससे उसे भविष्य में 125 अरब डॉलर की कमाई होने की उम्मीद है.

उसे ये भी उम्मीद है कि गैलीलियो अभी प्रचलित अमरीकी नेविगेशन सिस्टम जीपीएस को चुनौती पेश कर सकता है.

जीपीएस की तुलना में गैलीलियो में अधिक सटीक परमाणु घड़ियाँ लगाई गई हैं जो किसी सैटेलाइन नेविगेशन सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है.

समझा जाता है कि गैलीलियो से जगह और समय के बारे में और सटीक आँकड़े हासिल किए जा सकते हैं.

योजना

गैलीलियो के उपग्रहों का प्रक्षेपण एक और मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि पहली बार रूस के सोयूज़ रॉकेट को किसी पश्चिमी देश की धरती से छोड़ा गया.

सोयूज़ रॉकेट ने तीन घंटे 49 मिनट की यात्रा के बाद दोनों उपग्रहों को धरती से 23,222 किलोमीटर ऊपर स्थित कक्षा में स्थापित कर दिया.

अगले वर्ष दो और उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा जिसके बाद ये पता किया जा सकेगा कि गैलीलियो योजना के अनुरूप काम कर रहा है.

गैलीलियो के पूरी तरह से इस दशक के अंत तक काम कर सकने की उम्मीद है.

इससे पहले वर्ष 2020 तक कुल 27 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया जाएगा.

गैलीलियो परियोजना अपने तय समय से एक दशक पीछे चल रही है और इसकी लागत भी तय बजट से पाँच अरब यूरो अधिक हो गई है.

आलोचक गैलीलियो परियोजना को संसाधनों का दुरूपयोग बताते हैं.

Wednesday, October 12, 2011

विद्युत क्षेत्र

केन्द्रीय विद्युत मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने अमेरिकी निवेशकों को भारत में बढ़ते हुए विद्युत क्षेत्र में निवेश करने का आह्वान किया है। शिकागो में शिकागो के कार्यकारी क्लब के साथ फिक्की के सहयोग से आयोजित भारत अमेरिकी आर्थिक अवसरों और सहक्रियात्मक शिखर सम्मेलन के दौरान उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत में स्थापित उत्पादन क्षमता 1,81,000 मेगावाट से अधिक है और 80,000 मेगावाट की नवीन विद्युत उत्पादन क्षमता निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि 2007-2012 के दौरान भारतीय विद्युत क्षेत्र में 230 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निधियन की आवश्यकता का आकलन किया गया है। यह कहते हुए कि इसी प्रकार के निवेश की ज़रुरतों के साथ बारहवीं पंचवर्षीय योजना में लगभग 100 हज़ार मेगावाट क्षमता बढ़ाने का उद्देश्य है, मंत्री महोदय ने इस बात पर बल दिया कि निजी क्षेत्र के मज़बूत सहयोग के साथ ही इस वृहत उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सकेगा। भारत में विद्युत क्षेत्र में सुधार को रेखांकित करते हुए श्री शिंदे ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003, इस क्षेत्र को बाज़ार की गतिशीलता के साथ संरेखित करने और निजी क्षेत्र की भागीदारी की राह में आने वाले गतिरोधों को दूर करता है। उन्होंने कहा कि भारत में एक स्वतंत्र विनियामक ढांचा अब बिजली कंपनियों के लिए व्यापारिक भरोसे और सालाना 15.5 प्रतिशत की इक्विटी पर वापसी की काफी आकर्षक दर प्रदान करता है।

भारत में सार्वजनिक निजी भागीदारी के सफल अवयवों के साथ बिजली परियोजनाओं की रूपरेखा प्रदान करते हुए श्री शिंदे ने कहा कि प्रतिस्पर्धात्मक नीलामी के मार्फत निजी क्षेत्र द्वारा विकसित करने के लिए 16 अल्ट्रा मेगा पावर परियोजनाओं (यूएमपीपी) और 14 अंतर्राज्यीय संचारन योजनाओं की पहचान की गई है।
केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री डॉ. फारूख अब्दुल्ला ने अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों से भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने का आह्वान किया है।

डॉ अब्दुल्ला शिकागों में शिकागो के कार्यकारी क्लब वैश्विक मामलों पर शिकागो परिषद कार्यकारी क्लब वैश्विक मामलों पर शिकागो परिषद फिक्की के तथा सहयोग से आयोजित भारत अमेरिकी आर्थिक अवसरों और सहक्रियात्मक शिखर सम्मेलन के समापन परिपूर्ण सत्र को संबोधित कर रहे थे।

डॉ. अब्दुल्ला ने बताया कि लॉरेंस-बर्कली राष्ट्रीय प्रयोगशाला के हाल के अनुमानों से संकेत मिलता है कि भारत में पवन ऊर्जा की ही केवल 600 गिगावाट से अधिक इलेक्ट्रिक बिजली की क्षमता है। इसके अतिरिक्त फोटोवोल्टिक तथा तापीय ऊर्जा से प्रत्येक किलोमीटर वर्ग के क्षेत्र में 50 मेगावाट तथा बिजली लाई जा सकती है।

डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में भारत आज दुनिया के शीर्ष 5 देशों में सम्मिलित है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भारत के नवीकरणीय क्षेत्र के निवेश में 25 प्रतिशत की वृद्दि हुई और लगभग 3.8 बिलियन डॉलर का योगदान हुआ।

डॉ. अब्दुल्ला ने बताया कि 2022 तक भारत ने 20 गिगावाट सौर नवीनकरणीय बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन 2010 की शुरूआत के बाद से एक एक साल में नवीन और नवीकरणीय मंत्रालय ने 615 मेगावाट की 36 परियोजनाओं का आवंटन किया है।


केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि साइबर सुरक्षा की चुनौतियों से निपटते वक्त ‘व्यक्ति की गोपनीयता’ और ‘देश की संवेदनशील सुरक्षा चिंताओं’ के बीच पर्याप्त संतुलन बनाए रखने की ज़रुरत है। उभरते बाज़ारों के लिए सूचना और नेटवर्क सुरक्षा पर 20 सितंबर, 2011 को हेलेंसकी में आयोजित शिखर सम्मेलन के शुरुआती सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात के लिए चेताया कि साइबर आक्रमण केवल व्यक्ति द्वारा नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धी व्यापारिक घरानों और विद्रोही देशों द्वारा भी संचालित किया जाता है। श्री सिब्बल ने इस बात का स्मरण कराया कि एक अकेला मैलवेयर न केवल बड़े परमाणु संयंत्रों बल्कि वित्तीय संस्थानों के महत्वपूर्ण क्रियाकलापों को भी ठप्प कर सकता है, जो कि वैश्विक तौर पर एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं।

भारत में दूरसंचार सेवाओं में हुई उल्लेखनीय वृद्धि के बारे में बोलते हुए श्री सिब्बल ने कहा कि वर्ष 2000 में तीन मिलियन मोबाइल कनेक्शन के मुकाबले वर्ष 2011 में 870 मिलियन मोबाइल कनेक्शन की बढ़ोतरी हुई है । नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए अगले तीन वर्षों में 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर को बिछाने और एनईजीपी (राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना) को लागू करने की योजना है। नेटवर्क की इस अभूतपूर्व वृद्धि और नेटवर्क मंचों पर लोगों की निर्भरता की वजह से भारत के लिए सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की चिंता बेहद आवश्यक है।

इस संदर्भ में श्री सिब्बल ने वैश्विक समुदाय से आपसी गठजो़ड़ द्वारा सूचना और नेटवर्क सुरक्षा के लिए वैश्विक प्रोटोकॉल विकसित करने का निवेदन किया।



ब्रिक्‍स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका)के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों का असंचारी रोगों पर न्‍यूयॉर्क में 20 सितंबर 2011 को गोलमेज़ सम्‍मेलन आयोजित किया गया। इस बैठक की मेज़बानी चीन के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री श्री चेन झू ने की। इस बैठक में भारत के स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आज़ाद, दक्षिण अफ्रीका के स्‍‍वास्‍थ्‍य मंत्री श्री पाकिशे अरॉन मोत्‍सोलेदी, रूस की स्‍वास्‍थ्‍य तथा सामाजिक विकास उपमंत्री सुश्री वेरानिका आई. स्‍कोवर्टसोवा तथा ब्राज़ील के राजदूत तथा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के महानिदेशक डॉ. मार्गेट चेन और संयुक्‍त राष्‍ट्र एड्स के कार्यकारी निदेशक मिशेल साइडबे ने भाग लिया।

भारत के केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आज़ाद ने असंचारी रोगों पर संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई राजनीतिक घोषणा के मुख्‍य पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि ब्रिक्‍स देशों को इन क्षेत्रों में मिलकर काम करने के लिए एक प्रारूप बनाना चाहिए। उन्‍होंने ज़ोर देकर कहा कि असंचारी रोगों (एनएसडी) के उपचार तथा प्रबंधन के लिए आवश्‍यक है कि दवाईयों प्राप्‍त होने तथा उसे सस्‍ते दामों पर खरीदने में ट्रिप्‍स प्‍लस उपायों द्वारा कोई रूकावट नहीं आनी चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि चूंकि इन देशों में विश्‍व की लगभग 42 प्रतिशत जनसंख्‍या सम्मिलित है इसलिए ब्रिक्‍स मंच को एक विशेष दर्जा प्राप्‍त है । श्री आज़ाद ने ब्रिक्‍स देशों से एनएसडी तथा उससे जुड़े जोखिम कारकों से निपटने के लिए प्रारूप के अनुसार छोटे, बड़े कार्यों पर काम करने तथा अपने विशेषज्ञों का इस्‍तेमाल करने का आग्रह किया । माननीय स्‍वास्‍थ्‍य तथा परिवार कल्‍याण मंत्री ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में अगले ब्रिक्‍स देशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों का सम्‍मेलन भारत में आयोजित करने की पेशकश की।

ब्रिक्‍स देशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों के सम्‍मेलन में यह निष्‍कर्ष निकाला गया कि चिन्हित क्षेत्रों के प्रारूप पर मिलकर काम करने के लिए विस्‍तृत तकनीकी बैठकों का आयोजन किया जाएगा तथा सभी देश साझे हितों को हासिल करने के लिए एक दूसरे का सहयोग करेंगे।

सॉफ्टवेयर टेक्‍नोलॉजी पार्क


सॉफ्टवेयर टेक्‍नोलॉजी पार्क
 पिछले तीन वर्षों तथा चालू वर्ष के दौरान स्‍थापित किए गए भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (एसटीपीआई) केन्‍द्रों के ब्‍यौरे नीचे दिए गए हैं:-
वर्ष
एसटीपीआई केन्‍द्र
2007-08
हल्‍दिया (पश्‍चिम बंगाल)

शिलॉंग (मेघालय)

पटना (बिहार)
2008-09
-
2009-10
-
2010-11
बहरामपुर (उड़ीसा)
2011-12 (जुलाई तक)
-
       देश में कुल 52 एसटीपीआई केन्‍द्र पहले ही कार्य कर रहे हैं। नया एसटीपीआई केन्‍द्र स्‍थापित करने की नीति के अनुसार राज्‍य सरकार से प्रस्‍ताव प्राप्‍त होने पर एसटीपीआई संबंधित राज्‍य सरकार के साथ मिलकर प्रस्‍ताव की निर्यात क्षमता और व्‍यावसायिक क्षमता का मूल्‍यांकन करने के लिए व्‍यवहार्यता अध्‍ययन करता है। चूंकि एसटीपीआई केन्‍द्र की स्‍थापना करने की पहल राज्‍य सरकार द्वारा की जाती है, एसटीपीआ द्वारा नए एसटीपीआई केन्‍द्रों की स्‍थापनाके लिए लक्ष्‍य निर्धारित करना संभव नहीं है।
तटीय सुरक्षा को सुदृढ़ किया जाना
 पुलिस, भारतीय तटरक्षक और भारतीय नौसेना द्वारा मुंबई सहित हमारे संपूर्ण समुद्री तट पर एक त्रि-स्‍तरीय तटीय सुरक्षा घेरे का प्रावधान किया गया है। तटीय सुरक्षा सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार ने कई उपाय शुरू किए हैं, जिसमें निगरानी तंत्र को संशोधित करने और एकीकृत प्रस्‍ताव का अनुपालन करते हुए गश्‍त को बढ़ाया जाना भी शामिल है। द्वीपीय क्षेत्रों सहित तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए अपनाए गए इस प्रस्‍ताव की प्रभाविता की जांच के लिए नौसेना, तटरक्षक, तटीय पुलिस, सीमा शुल्‍क और अन्‍यों के बीच नियमित आधार पर संयुक्‍त संक्रियात्‍मक अभ्‍यास आयोजित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्‍त, सरकार द्वारा राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्रों सहित विभिन्‍न एजेंट को शामिल करते हुए अलग-अलग स्‍तरों पर विभिन्‍न तंत्रों की निरंतर पुनरीक्षा और निगरानी की जाती है। संयुक्‍त संक्रिया केंद्र और बहु-एजेंसी समन्‍वय तंत्र के गठन के माध्‍यम से आसूचना तंत्र को भी सरल और कारगर बनाया गया है। देश की संपूर्ण तटरेखा और द्वीपों पर रडारों को स्‍थापित करना भी इस प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्‍सा है।

Thursday, October 6, 2011

With a ban on mining, the barren hills are turning green again in Bellary, but not all are happy.

Global warming will affect agricultural productivity adversely in regions where the food needs are the greatest.

Global warming will affect agricultural productivity adversely in regions where the food needs are the greatest. A one degree rise in global temperature will curtail the growing season by a week in Punjab, he said. “You lose one week of growing period, you lose nearly 400 kg of wheat per hectare. We have calculated 6 million tones per year will go down in the northern part of India. International Food Policy Research Institute has estimated that food production in south Asia will decrease by 44 per cent by 2050, if adaptation measures are not put in place.

Sunday, October 2, 2011

वैज्ञानिकों ने विश्व के पहले एक अणु वाले बिजली मोटर का विकास किया...

वैज्ञानिकों ने विश्व के पहले एक अणु वाले बिजली मोटर का विकास किया है। इससे नए प्रकार के उपकरणों को तैयार किया जा सकता है और इनका इस्तेमाल औषधि से लेकर इंजिनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भी हो सकता है।

यह बिजली मोटर एक नैनोमीटर को मापने में सक्षम है। 60,000 नैनोमीटर की चौड़ाई मानव के एक बाल की चौड़ाई के बराबर होती है। मैसाचूसेट्स स्थित टफ्टस यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री के सहायक प्रफेसर चार्ल्स साइकेस के मुताबिक इस अणु मोटर के विकास से नए प्रकार के बिजली परिपथ बनाने का रास्ता खुल सकता है।
नेचर नैनोटेक्नोलॉजी में छपी अनुसंधान रिपोर्ट में टफ्टस दल ने कहा है कि यह बिजली का मोटर मात्र एक नैनोमीटर को मापने में सक्षम है, जबकि मौजूदा विश्व रेकॉर्ड 200 नैनोमीटर मोटर है।

केपलर-19बी और केपलर-19सी

केपलर-19बी और केपलर-19सी नाम के इन दोनों ग्रहों की खोज नासा के केपलर स्पेस टेलिस्कोप ने की है। इस टेलिस्कोप को 2009 में एलियन वर्ल्ड की खोज करने के इरादे से लॉन्च किया गया है। पहले, केपलर को 19बी का उस समय पता लगा, जब वह अपने होस्ट स्टार के सामने से गुजरा। इसके बाद 19सी के होने का पता चला, जिसकी ग्रैविटी 19बी पर असर डाल रही थी। केपलर टेलिस्कोप अपने शुरुआती चार महीने में ही 1235 एलियन प्लैनेट का पता लगा चुका है।