Monday, April 30, 2012

2001 की जनगणना के अनुसार भारत में वृद्धों की संख्या सात करोड़ सत्तर लाख है जबकि 1961 में उनकी संख्या केवल दो करोड़ चालीस लाख थी। 1981 में यह बढ़कर चार करोड़ तीस लाख हो गई और सन् 91 में ये पाँच करोड़ सत्तर लाख तक पहुंच गई। भारत की आबादी में वृद्ध लोगों का अनुपात 1961 में 5.63 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2001 तक 7.5 प्रतिशत हो गया और 2025 तक यह 12 प्रतिशत तक हो जाने की संभावना है। सत्तर साल से अधिक आयु के वृद्ध जनों की संख्या जहां 1961 में अस्सी लाख थी वहीं वर्ष 2001 में यह बढ़कर दो करोड़ नब्बे लाख हो गई। भारतीय जनसंख्या के आंकड़े के अनुसार 1961 में शताब्दी पूरा करने वालों की संख्या 99 हज़ार दर्ज की गई, वहां 1991 में ये बढ़कर एक लाख अड़तीस हज़ार हो गई...

2001 की जनगणना के अनुसार भारत में वृद्धों की संख्या सात करोड़ सत्तर लाख है जबकि 1961 में उनकी संख्या केवल दो करोड़ चालीस लाख थी। 1981 में यह बढ़कर चार करोड़ तीस लाख हो गई और सन् 91 में ये पाँच करोड़ सत्तर लाख तक पहुंच गई। भारत की आबादी में वृद्ध लोगों का अनुपात 1961 में 5.63 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2001 तक 7.5 प्रतिशत हो गया और 2025 तक यह 12 प्रतिशत तक हो जाने की संभावना है। सत्तर साल से अधिक आयु के वृद्ध जनों की संख्या जहां 1961 में अस्सी लाख थी वहीं वर्ष 2001 में यह बढ़कर दो करोड़ नब्बे लाख हो गई। भारतीय जनसंख्या के आंकड़े के अनुसार 1961 में शताब्दी पूरा करने वालों की संख्या 99 हज़ार दर्ज की गई, वहां 1991 में ये बढ़कर एक लाख अड़तीस हज़ार हो गई।
भारत में 21 शताब्दी के पहले मध्य में आयु संबंधी परिदृश्य के आकलन के लिए अगले पचास वर्षों में वृद्धों की संख्या अनुमानित की गयी है। भारत के साठ और उससे अधिक आयु के वृद्धों की संख्या 2001 में 7 करोड़ 70 लाख से बढ़कर वर्ष 2031 में एक अरब 7 करोड़ 90 लाख पहुंच जाने की संभावना है और वर्ष 2051 तक 3 अरब 10 लाख तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। 70 साल से अधिक आयु के लोगों की संख्या में वर्ष 2001 से 2051 के बीच पाँच गुणा वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

समाज में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं चिंता की वजह है क्योंकि वृद्ध लोगों को युवाओं की अपेक्षा खराब स्वास्थ्य का सामना करना पड़ता है। शारीरिक बीमारी के अलावा अधिक आयु के लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने की भी संभावना रहती है। अध्ययन से पता चला है कि अधिक आयु के लोग ज्यादातर खांसी से पीड़ित रहते हैं। (बीमारियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण के अनुसार ये टीबी, फेफड़े की सूजन, दमा, काली खांसी इत्यादि से जुड़ी खांसी होती है)। कमजोर दृष्टि, शरीर में रक्त की अल्पता और दाँत संबंधी समस्याओं से भी वे जूझते हैं। अधिक आयु होने से वृद्ध लोगों में बीमारी बढ़़ने और बिस्तर पकड़ लेने का अनुपात बढ़ता पाया गया है। शारीरिक अक्षमताओं में दृष्टि दोष और श्रवण शक्ति खत्म होना प्रमुख है।

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