Monday, April 30, 2012

देश में शहरी, पालिका संबंधी और ओद्योगिकी कचरों से 3600 मेगावाट बिजली तैयार करने की संभावना है और वर्ष 2017 तक यह बढ़कर 5200 मेगावाट हो सकती है। शहरी स्थानीय निकायों और सरकार के द्वारा यह परियोजनाएं स्थापित की जा सकती हैं और इसमें निजी क्षेत्र के डेवलपरों की भागेदारी भी हो सकती है। फरवरी 2012 के अंत तक कचरे से कुल मिलाकर शहरी क्षेत्र में 36.20 मेगावाट बिजली और औद्योगिक क्षेत्र में 53.46 मेगावाट ग्रीड आधारित बिजली का उत्पादन किया गया था।

विभिन्न प्रौद्योगिकियों के आधार पर कचरे से ऊर्जा तैयार करने की परियोजनाओं के लिए प्रति मेगावाट लागत अधिक होती है। बायोमिथेन तैयार करने के लिए 6 से 9 करोड़ रुपये के बीच में लागत आती है जबकि गैस तैयार करने और दहन के लिए इसपर 9 से 10 करोड़ रुपये की लागत आती है। हालांकि इस परियोजना के लिए 20 लाख रुपये से लेकर 3 करोड़ रुपये तक वित्तीय सहायता दी जाती है।
देश में शहरी, पालिका संबंधी और ओद्योगिकी कचरों से 3600 मेगावाट बिजली तैयार करने की संभावना है और वर्ष 2017 तक यह बढ़कर 5200 मेगावाट हो सकती है। शहरी स्थानीय निकायों और सरकार के द्वारा यह परियोजनाएं स्थापित की जा सकती हैं और इसमें निजी क्षेत्र के डेवलपरों की भागेदारी भी हो सकती है। फरवरी 2012 के अंत तक कचरे से कुल मिलाकर शहरी क्षेत्र में 36.20 मेगावाट बिजली और औद्योगिक क्षेत्र में 53.46 मेगावाट ग्रीड आधारित बिजली का उत्पादन किया गया था।

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