यूरोपीय आयोग गैलीलियो परियोजना में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है जिससे उसे भविष्य में 125 अरब डॉलर की कमाई होने की उम्मीद है.
उसे ये भी उम्मीद है कि गैलीलियो अभी प्रचलित अमरीकी नेविगेशन सिस्टम जीपीएस को चुनौती पेश कर सकता है.
जीपीएस की तुलना में गैलीलियो में अधिक सटीक परमाणु घड़ियाँ लगाई गई हैं जो किसी सैटेलाइन नेविगेशन सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है.
समझा जाता है कि गैलीलियो से जगह और समय के बारे में और सटीक आँकड़े हासिल किए जा सकते हैं.
योजना
गैलीलियो के उपग्रहों का प्रक्षेपण एक और मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि पहली बार रूस के सोयूज़ रॉकेट को किसी पश्चिमी देश की धरती से छोड़ा गया.
सोयूज़ रॉकेट ने तीन घंटे 49 मिनट की यात्रा के बाद दोनों उपग्रहों को धरती से 23,222 किलोमीटर ऊपर स्थित कक्षा में स्थापित कर दिया.
अगले वर्ष दो और उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा जिसके बाद ये पता किया जा सकेगा कि गैलीलियो योजना के अनुरूप काम कर रहा है.
गैलीलियो के पूरी तरह से इस दशक के अंत तक काम कर सकने की उम्मीद है.
इससे पहले वर्ष 2020 तक कुल 27 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
गैलीलियो परियोजना अपने तय समय से एक दशक पीछे चल रही है और इसकी लागत भी तय बजट से पाँच अरब यूरो अधिक हो गई है.
आलोचक गैलीलियो परियोजना को संसाधनों का दुरूपयोग बताते हैं.
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